रविवार, 16 सितंबर 2012

हाइकू - 30


वक्त है पानी
बहने दो झरना
रोको न इसे |

जड़ याद है
भूल न करूँ कभी
दृढ़ प्रण है |

अब दौडूं
राह है पथरीली
रात भी काली |

रात बोलती
मैं लोरी गाऊँ आज
तू चल सो जा |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें