रविवार, 23 सितंबर 2012

क्षणिकाएं - 2

   1

बावरा मन
बहुत कुछ बनना चाहे
कभी कभी कोई अधिकारी
तो कभी कोई और
बन भी जाये वो
जी भी ले वो जीवन
मित्रों ,रिश्तों के माध्यम से |

               
            2



सुरक्षा करते करते
कब नींव बन गयी
पता ही चला उसे
आज हैरान है वो
खुद पर
और अपने स्थान पर | 


        


   
     
      

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