बुधवार, 19 सितंबर 2012

रिश्ते


सास को लगाना पड़ जाय फांसी
ऐसे पति ,पुत्र , बहू 
किस काम के
घर में बैठी रहे 
बिन ब्याही कमाऊ बेटी
लानत है
रिश्तों को |
क्यों रहें हम अकेले
अलग घर में
खुश रहें
बांटे आपसी सुख दुख
हंसें बोलें
दूरी बढ़ाये मिठास
अब रही
सहिष्णुता पुरानी
थक कर सोते
हम
निज घर में |
अखबार की हर
खबर दिल को छूए
लगे कहीं कोई अपना रोये
काश हम पत्थर बनते
मुंह ढांप के सोते
सबेरे कहते
...हाय फुर्सत ही कहाँ मिली अखबार पढ़ने की  !

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