आदर्शों की
दुनिया
कितनी भली
होती है
इस दुनिया
में
सदा सत्य की
जीत होती है
झूठ को
सदा सजा
मिलती है
जिन्दगी
मायावी बनी
रहती है
बच्चे
बूढ़े एक सरीखे होते हैं .......
का
पाठ मैंने
बिस्तर पर न
उठ बैठ सकने लायक बीमार पिता को
जब याद दिलाया
तब वे बोल उठे
........
नहीं बेटा ...
बच्चे प्यारे लगते हैं ..बूढ़े नहीं ...
उस दिन ही
मेरी
आदर्शों की दुनिया लुप्त हो गयी
और मैंने
वास्तविक
दुनिया में पहला कदम रखा |
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