शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

वास्तविक दुनिया

आदर्शों की दुनिया
कितनी भली होती है
इस दुनिया में
सदा सत्य की जीत होती है
झूठ को
सदा सजा मिलती है
जिन्दगी
मायावी बनी रहती है
बच्चे बूढ़े एक सरीखे होते हैं .......
का पाठ मैंने
बिस्तर पर न उठ बैठ सकने लायक बीमार पिता को
जब याद दिलाया
तब वे बोल उठे ........
नहीं बेटा ... बच्चे प्यारे लगते हैं ..बूढ़े नहीं ...
उस दिन ही
मेरी आदर्शों  की दुनिया लुप्त हो गयी
और मैंने
वास्तविक दुनिया में पहला कदम रखा |

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