नव संस्कृति
का चलो
आज से हम
बहिस्कार करें
ये घर न तेरा
है
न मेरा है
यह घर हमारे
बुजुर्गों का है
हमारे बच्चों
का है
हम तो हैं
इस घर के
संरक्षक
इसकी
खुशियों की गर्माहट में
हम
मुस्कायेंगे
भूलेंगे
हम सारे
बाहर के दुख |
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