जानेवाला
लौट कर नहीं
आता
जिन्दगी से
मुंह मोड़ने वाला
अपने लिए तो
सुख तलाश लेता है
पर उसके अपने
आजीवन उसे
भूलने की चेष्टा करते रहते हैं
भगोड़ा कह कर
कोसते रहते हैं
एक निर्जीव
नन्हा दिया लड़ लेता है अकेले ही अन्धकार से
हम तो सजीव
हैं
मन में लग्न
की आग लिए
सतत चल रहे
हारना न कभी
तू रे मन
तेरा जीवन
समाज की जरूरत है |
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