त्यौहार ही
उमंग है
मेल का
प्रसंग है
पल भर भूलते
हम गम
जिन्दगी के
दूर के
रिश्ते भी अपने लगते
पर सच्ची
खुशी तो
तब होय
जब पढ़ पायें
अपनों के मन प्रतिपल
भले वो हमसे
दूर हों
पर मन से
करीब हों
अपनों के
परेशानियों से वाकिफ हों
महसूस
करें घर का सकून
भले हम विदेश
हों
अपनों के
प्यार से
प्यारा
कोई रंग नहीं
अपनों की
मुस्कान से बड़ी सुगन्धि नहीं
अपनों की
खिलखिलाहट सी फुलझड़ी नहीं
छुट्टियों
में रिश्तेदारों के आगमन से बड़ा त्यौहार नहीं |
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