गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

छुट्टियों में त्यौहार

त्यौहार ही उमंग है
मेल का प्रसंग है
पल भर भूलते
हम गम जिन्दगी के
दूर के रिश्ते भी अपने लगते
पर सच्ची खुशी तो
तब होय
जब पढ़ पायें अपनों के मन प्रतिपल
भले वो हमसे दूर हों
पर मन से करीब हों
अपनों के परेशानियों से वाकिफ हों
महसूस करें  घर का सकून
भले हम विदेश हों
अपनों के प्यार से
प्यारा कोई  रंग नहीं
अपनों की मुस्कान से बड़ी सुगन्धि नहीं
अपनों की खिलखिलाहट सी फुलझड़ी नहीं
छुट्टियों में रिश्तेदारों के आगमन से बड़ा त्यौहार नहीं |

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