हर सांस एक
कहानी है
जिसे लिखवाता
पवन जबानी है
कैसे भागूं
घर
, वन , सड़क , आफिस
सभी जगह
कहानियाँ हैं
कब्रिस्तान भी
अछूता नहीं
दिन
तारीख भी अंकित है हर कब्र पर
और उसमें बंद
एक उपन्यास है
श्मशान भी तो
खाली नहीं
हर पल घटित
होती उसमें कहानियाँ हैं
जिन्हें
लिखवाता रहता है
पवन मुझसे
जब तक मैं
जिन्दा हूँ
कलम चलती
रहेगी
लेकिन पवन जब
बौरा जायेगा
तब कहानियाँ
गड़ जायेंगी जहाँ की तहां
और सिन्धु
घाटी सी एक नई सभ्यता जन्मेगी |
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