बच्चों को
समझाते
राह दिखाते
मुस्काते
ऐसे
शिक्षक बन गये हम
कि हमेशा राह
ही दिखाते रहे
और लोग हमसे
कतराते रहे
आदर्शों
की पोटली कौन ढोए......
मित्रहीन हम
प्रकाश स्तंभ
बने रहे
भटके बच्चों
को राह दिखाते रहे
जीवन के हर
पड़ाव में
बच्चे आते
रहे
हमारे
लिए मित्र बने रहे |
छात्रों का विश्वास
शिक्षक के मन
में
दीपक सा जलता
रहा
और
हम आजीवन
मुस्कुराते रहे |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें