कितना मजा
मिलता है
जब हम घर बैठ
कर
बस और सड़क की
धक्के खाती
ऑफिस
खट कर लौटती औरतों को
चरित्रहीन कह
कर उसका मान मर्दन करते हैं
आखिर उसका
आदमी कमाऊ हैं
क्यों जाती है
वह सड़क पे
और आदमी
निकम्मा है तो
ताने देने में
और मजा आता है ....
देख न कैसे बन
ठन कर निकलती है
जरूर चक्कर
होगा कोई .....
बिनब्याही
निकलती है सड़क पर
तो बाप भाई के
नाम पर कोसते हैं हम
मर्दों के दोष
निकाल नहीं सकते
डर लगता है
उनसे
कामकाजी घर
बाहर से थकी हारी
न सुहाती
हमें
क्यों
कि पैसे कमाती है वह .....
अपने
बाप भाई को भी तो पैसे भेज देती होगी वो ....
जाड़े की धूप
में
कभी किसी के
छत पर तो किसी के छत पर
बतियाना आखिर
कितना सुखद रहता है
और मस्त रहता
है मुहल्ले का रिपोर्ट लेना |
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