मन
जब धरा बन
जाता है
उस पर बर्फ
का पहाड़ भी बन जाता है
जाड़े की भोर
का सूरज पिघला नहीं पाता उस बर्फ को
पर प्रचंड
गर्माहट सूरज की
गर्मी के
मौसमवाली
पिघला
देती है पहाड़ ........
देखते
ही देखते जल - धार बह
निकलती है
मन में बसंती
फूल खिल उठते हैं
घर महक उठता
है ....
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