रविवार, 26 जनवरी 2014

आंसू न गिरा

पत्थर बन गया है सीना

इस्पात बन गयी हैं

अब तो ये बाहें

कतरा भर भी

आंसू न गिरा

किसी दुखद पल में

लगता है

पहाड़ चीर ही डालेगा

अब ये तन

धूल भरा आकाश है

सुनाई दे रही  देखो

अब तो अश्वों की टाप है |

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