बुधवार, 29 जनवरी 2014

हंसी हवा

जी किया
कुछ पल के लिए मर जायें हम
तो तैर लें
हम भी सागर
जल पर आसानी से
पर
हंस कर बोली हवा  ........
भला
एक बार मर के
कोई जिन्दा हुआ है ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें