व्यंग्यकार पगला कहलाता है
अनजानों की बस्ती में
बेहतर है
वह अपने सरीखों से ही घिरा रहे
या फिर वह छपे पुस्तकों में
और उसे समझाने के लिए
तलाश कर रखें हम
एक काबिल शिक्षक
विद्यालय में
वर्ना सारे विद्यार्थी पागल बन जायेंगे |
अनजानों की बस्ती में
बेहतर है
वह अपने सरीखों से ही घिरा रहे
या फिर वह छपे पुस्तकों में
और उसे समझाने के लिए
तलाश कर रखें हम
एक काबिल शिक्षक
विद्यालय में
वर्ना सारे विद्यार्थी पागल बन जायेंगे |
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