09 April 2015
15:32
15:32
-इंदु बाला सिंह
हाथ खींच लिये अपने
कहां से जुटे
दहेज के रूपये
अब तो ब्याह की तारीख भी पास आयी
अपमान और तनाव में
पिता कूद गया
छत से
और
मुक्त हो गया
प्रतिदिन की चिंता से ........
पर
न जाने यह कौन सा अहं था
जिसने
उसके मन को
दहेज देने के लिये प्रेरित किया था
उसे
परेशान हूं मैं
आज यह सोंच सोंच |
कहां से जुटे
दहेज के रूपये
अब तो ब्याह की तारीख भी पास आयी
अपमान और तनाव में
पिता कूद गया
छत से
और
मुक्त हो गया
प्रतिदिन की चिंता से ........
पर
न जाने यह कौन सा अहं था
जिसने
उसके मन को
दहेज देने के लिये प्रेरित किया था
उसे
परेशान हूं मैं
आज यह सोंच सोंच |
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