20 April
2015
07:59
-इन्दू बाला
सिंह
चाह मेरी
बन चिरैय्या
पंख पसार उड़ जाऊं
फुद्कुं
डाली डाली पे
चहकूं
भला न लगे
मुझे
पढ़ना
स्कूल जाना
फीस
मांगते वहां टीचर
बच्चे
बढ़िया बढ़िया
टिफिन लाते
सबके कपड़े
चमकते
बगुले जैसे
मुझसे न हो
पाता
होमवर्क स्कूल
का .........
भोर भोर
गाल पे हाथ रख
आम के पेड़ तले
खड़ा
है मुन्ना
सोंच रहा
और
सपने देख रहा
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