गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

दिन जीने लायक बनता है |


02 March 2015
17:45

-इंदु बाला सिंह


तुम्हारा अस्तित्व स्थिरता देता है मन को
कहीं तो होगे तुम
तुमसे जब बातें करता रहता है मन
तब यूं लगता है 
तुम सुनते होगे मुझे ......................
समाधान मिलेगा मुझे
मेरे प्रश्न का
मेरी समस्याओं का
जिस पल मान लेगा मन तुम्हारी अस्तित्वहीनता
उसी पल वह पत्थर बन जायेगा ...........
आशा के सूरज से ही तो
पिघलती है
दुखों की बर्फ
और 
दिन जीने लायक बनता है |

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