Indu Bala Singh
April 1, 2013 at 9:45pm ·
ऐ शहर !
तूने विद्यालय और रोशनी देकर
हमसे हमारी पहचान ही छीन ली
रिश्ते छूटे
मन भी टूटा
मुश्किल से
नौकरी मिली
पर रहने को घर नहीं
कोई किराए में भी देता नहीं
कहाँ रहें हम
कहने को दुनिया हमारी है
पर अपनों से ऐसे टूटे कि
भीड़ में खो गये हम |
तूने विद्यालय और रोशनी देकर
हमसे हमारी पहचान ही छीन ली
रिश्ते छूटे
मन भी टूटा
मुश्किल से
नौकरी मिली
पर रहने को घर नहीं
कोई किराए में भी देता नहीं
कहाँ रहें हम
कहने को दुनिया हमारी है
पर अपनों से ऐसे टूटे कि
भीड़ में खो गये हम |
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