18 April
2015
09:43
-इंदु बाला
सिंह
स्टेशन आने
से पहले ही
धीमी हो जाती
थी ट्रेन
और
फटाफट कूदते
थे पुरुष
चलती ट्रेन
से
इस
अजूबे दृश्य का कारण समझाया था मुझे
मेरे
मित्रों ने ....
ये लोग रोज
शहर से ऐसे ही आते है
और
ऑटो पकड़ कर
जाते हैं
अपने
कार्यस्थल पर
दिन भर आफिसों
में काम कर
लौट जाते हैं
अपने शहर हर
शाम ........
और मैंने
सोंचा .....
कहां हैं
महिला पुरुष की बराबरी पर लाठी भांजनेवाले
कैसे जान पर
खेल कर कमाते हैं पुरुष
आज एक युवक ट्रेन से उतरते समय गिर कर मुक्त हो गया
संसार से
जली ट्रेन की
बोगी
तोड़ फोड़ हुयी
स्टेशन में
पर
जिसके परिवार
का सदस्य चला गया इस जहां से
वह न लौट के
आया
हाय !
ये पैसा !
तू कितना नाच
नचाता
किसीको हंसाता
तो
किसीको रुलाता
|
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