17 April
2015
07:10
-इंदु बाला
सिंह
ओ
मन !
रुकना नहीं
मुड़ना नहीं
अनसुनी कर
अतीत की हर पुकार
बस बढ़ता जा
कि
सच तो
बस
आज ही आज है
अंधियारा छुप
रहा है
और
दूर
बादलों के
पीछे
उम्मीदों का
सूरज चमक रहा है
बैठना मत
पत्थर बन
जायेगा तू
सोना मत
क्रिया कर्म
हो जायेगा तेरा
चमकीली ,
सपनीली , थकी आँखों की
जीवन ज्योति
बुझने न देना |
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