बुधवार, 1 अप्रैल 2015

पौधे की सुरक्षा


02 April 2015
06:50


-इंदु बाला सिंह

अभाव को
जिस पल मन ने
जगंह दी अपने दिल में
दुखों के पत्ते गिरने लगे उस गह्वर में ........

अपमान की आंधी में
न जाने किस पल आशा का बीज गिरा
और
कर्म की ऊष्मा में अंकुरित हो 
कब पौधा बन गया 
पता ही न चला स्वजनों को ........

अब
प्रतिदिन कंटीली झाड़ियों की ढेरी लगाती है
बुद्धि
उस पौधे के इर्दगिर्द |

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