शुक्रवार, 23 मई 2014

रिश्ते तो हम खो चले


22 May 2014
13:22

-इंदु बाला सिंह

निकम्मे पति के एवज में
रहने को
एक कमरा मिला
पैतृक घर में
और
साथ में
मिली अवहेलना
रिश्तों की
मित्रों की .......
बिटिया तो
उसकी बड़ी हो गयी
और
नौकरीपेशा बन गयी
पर
कमरा छिन गया ......
अब
बिटिया में
माँ की
देखभाल करने की सामर्थ्य  थी .......
इस प्रकार 
कट गया जमीन से
एक मानिनी से
उसका  परिवार .............
वाह रे !
पुरुष सत्ता तेरी
और
तेरे रिश्ते ......
धन और सत्ता के नशा  में
हम तो
ऐसा बेसुध हो चले
कि
अपने खो चले |





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