मंगलवार, 20 मई 2014

रिश्तों का चटखारा


15 May 2014
07:01

-इंदु बाला सिंह

कितना स्वादिष्ट  लगे
दूसरों के
रिश्ते
और
मजा लगे 
चटखारे लेना
गप्पें मारना
हर दोपहर
किसी के बरामदे में
बिना एक कप चाय पिये ....
पर
दूसरों के
घर में झांकने का शौक रखनेवाली  ने
यह सोंचा होता
कि
उसके झरोखे में भी
कोई
निगाह लगाये बैठा है
तो
क्या
वह
अपने इस शौक की कमाई न खाती
सरकारी विभाग में
नौकरी न करती |

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