मंगलवार, 20 मई 2014

छोटी सी आस


17 May 2014
11:32

-इंदु बाला सिंह

आंधी ने 
गर्द उड़ा दी ........
अब 
इन्तजार है 
बरसात के बाद 
निकलने वाले अंकुर का .......
जरा देखें हम भी ........
कितना विशाल बनेगा 
यह वृक्ष 
और 
कितने घर बसेंगे 
कितनी गुमटियां कामवालियों के नाम होंगी ......
कितने रेलवे स्टेशन 
पर 
खाना पकाता परिवार 
अपने 
घर में रहेगा 
श्रम की रोटी खायेगा ......
कितने मजदूर 
बिल्डिंग में काम तो करेंगे 
पर 
उनके लिए 
सड़कों पर शौचालय होगा ......
और 
शनिवार के दिन 
हमें 
एक भी आवाज सुनाई देगी ...
' माँ गो ! गोटिये मुट्ठी चाउल दिय ' |




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