शुक्रवार, 2 मई 2014

घरों का अखबार


02 May 2014
06:35
    -इंदु बाला सिंह

घरों का अखबार तो कामवालियां हैं
अपने अपने ढंग से
मौखिक खबरें फैलती हैं
चटखारे ले ले सुनते हैं हम
उड़ती खबरों के डर से
सुधरते हैं पड़ोसी
उंची चाहरदीवारी बनाते हैं वे
बड़ा सा गेट लगवाते हैं
पर
कामवालियों का प्रवेश कैसे रुके
जितना बड़ा घर होता है
उतनी ही ज्यादा होती है उस घर में
कामवालियों की संख्या |

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