03 May
2014
10:52
-इंदु बाला सिंह
मीठी बात
करने वाले के पास
कभी कभी
जब हम
पहुँचते हैं
तो
एक दिन
उनका
व्यक्तिव
प्याज सरीखा
पाते हैं हम
हर परत वे
झूठ और अहं
से चूर रहते हैं
हर पल
चौकन्ने न रहें हम
तो
अपने पास
पहुंचे व्यक्ति को
जोंक
सा चूस फेंक देते हैं वे सफेदपोश .....
क्या पता जीवन
की किस पाठशाला में
गढ़ा था उनका
चरित्र ..........
ये कैसा
व्यक्तित्व है ?
जितना
हम सोंचते हैं
उस विचित्र
जीव के बारे में
उतना ही मशीन
बनते जाते है
दया करुणा
खोते जाते हैं .......
यह हमारे छोटे
परिवार का अद्भुत उपहार है
सुख सुविधा से
जितने भरपूर
हैं हम
उतने ही
भाव शून्य
अकेले है हम |
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