बुधवार, 26 जून 2013

चौकन्ना है वह

चेत रहा है पढ़ा लिखा नौकरीपेशा समझदार पिता
बेटा हो या बेटी  बस एक ही सन्तान चहिये
वो भी न हो तो गोद ले लेंगे
पर लेंगे बेटी ही
कम से कम दुःख तो महसूसेगी हमारा
जितना ख्याल रख पायेगी रखेगी वो
यह परिवर्तन धीरा ही सही पल रच रहा है
एक समझदार समाज |

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