शनिवार, 15 जून 2013

इन्कलाब का इंतजार



03.20 AM , 17.10.11

लड़की अपने कथित घर में
जब खुश रहती है
तब उसे याद आते हैं माँ बाप के दुःख
उन्हें खुश रखना चाहती है
पर दुखी रहने पर
उन्हें अपने दुःख से दुखी नहीं करना चाहती है
वैसे घर नहीं होता लड़की का कोई
अपना घर बनाने की चिंगारी भी नहीं रहती
वह तो बस सपने देखती है
केवल एक राजकुमार का
जो उसे राजरानी बनाएगा
वह दुसरी के दुःख से दुखी भी नहीं होती
बस उन्हें बदकिस्मत ख कर मुक्त हो जाती है
आज इन्तजार है एक इन्कलाब का
जब महिलाओं के श्रम का मूल्य आंका जाएगा

वह देवी नहीं मानवी कहलायेगी |

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