मंगलवार, 4 जून 2013

क्यों रोयें भला


हंसने  का हुनर सीख
घर से निकले हम |

बाधाएं हैं पार किये 
विपदाओं से  क्यों डरें हम |

एक सपने की खोज में
पहाड़ पानी खेलें हम |

घोषित घरबार नहीं

हैं फक्कड़ राही हम |

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