आफिस से दिन
भर का थका हारा
मेस से खाना
खा कर
कमरे
में लौटते ही गिर जाता था वह बिस्तर पर |
उसकी नींद से
मुंदती आँखें बड़े हसरत से देखती थीं
वाशिंग मशीन
से धुले कपड़ों के ढेर को
काश रात को
परियां आतीं
और उसके
कपड़ों को आयरन कर चली जातीं
छुट्टी तो
रविवार को भी नहीं थी उसे
कोई
न कोई काम ' सर ' का मिल जाता था उसे
उस अफसर का
दुख भुक्त भोगी ही जान सकता था |
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