नारी चिंगारी है
सम्हल के चल तू
वह तो झांसी की रानी है
हर घर एक झांसी है
कितने घर तोड़ोगे तुम
तोड़ते तोड़ते टूट जाओगे एक दिन |My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी, कहानियों का पेड़, ek chouthayee akash, बोलते चित्र, Beyond Clouds, Sansmaran, Indu's World.