पुनर्जन्म
की क्या
सोंचे
कल
किसने देखा ......
जी ले
प्यारे
छलका ले सुख
की गगरी प्यारे
धारण कर
ग्रीवा में
दुःख का जहर
बन जा
नील कंठ ……..
नर्तन कर ले
भोले बन
क्षमा कर दे
अपनों
को ......
जी ले
हर
पल भरपूर |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें