पुत्रभक्त
पिताओं की
कहानियां
पढ़ेंगे
हम
बड़ी जल्दी ही
अपनी
पाठ्य पुस्तकों में ....
विदेशी
पुत्रों के जीवन स्तर का
गुणगान करते
नहीं थकते
पिता
.............
अपने घर में
अकेले पड़े
बालकनी में
आकाश निहारते
या
फिर
अपने बगान में
फूलों की
गुडाई करते
हुए
मौन
कुछ तो बातें
करता होगा
पिता का
कसकता अंतर्मन
आशीर्वचन भी
देता ही होगा .......
सपरिवार खुश
रहो
जहां रहो
......
कितनी मृत्यु
सी ठंडक होती होगी
उस
पिता के हृदय
में
जिसने
खुशियां व
सुरक्षा दी ......
बाँहों के
घेरे में
अपने
पुत्र को
गर्माहट दी .......
कुछ तो
कहीं टूटता ही
होगा
जिसे
भावुक मन ही
समझता होगा .......
पर
जीने के लिए
मस्त रहने के
लिए
जितना हम
भूलें कल
उतना ही
उड़ें तेजी से
रॉकेट सा
........
और
आगे बढ़ते जीवन
में ........
पर
भला
इतनी तीव्र
उड़ान क्यों भरते हम ...
और
फिर क्यों
सीखते पुत्रभक्ति का पाठ |
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