शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

आकाश के नजारे

धूमकेतु था चमका
आँखों से ओझल हो गया
कौतुकपूर्ण दृश्य था |

आकाश सुंदर है
कितने अचम्भे दिखते रात में
मन शीतल होय |

सूर्यग्रहण जी हुलसाये
पुजारी तो घर शुद्ध करे
चंद्रग्रहण मोहे हमें |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें