बाप ना हो
माँ
, बहन
ना हो
और
खुद महिला से
बढ़ कर
मित्रता करने
की
क्षमता न हो
तो
पुरुष
आजीवन कुंवारा रहता है ........
अकेला रहता है
शादीशुदा
मित्रों की
आंख की
किरकिरी रहता है ...........
कोई
उसे भला
तो
कोई
उसे
बीमार कहता है .............
वैसे
उसके
पेंशन के पैसे
और
मकान का
हकदार
कोई दूरस्थ
वह रिश्तेदार
ही रहता है
जो उसे
न तो एक गिलास
पानी के लिए पूछता है
और
न ही
मुह में
गंगाजल डालने को मौजूद रहता है |