बुधवार, 11 सितंबर 2013

तू ही कर्ता

09.11.96


मानिनी !
अश्रु पोंछ
मनदीप जला
तू शक्ति है
तू प्रेरणा है
क्रन्दन न कर
तेरा रुदन लायेगा अकाल
हरेगा पुरुषत्व
नपुंसक समाज क्या लायेगा क्रांति
नया सूरज स्वतः कभी न चमकेगा
तुझे फूंकना है प्रेरणा की बंशी
मुक्त मस्तिष्क से
तू सृष्टिकर्ता है
करना है रचना नये समाज की
हर घर मुस्काएगा
देखना एक दिन
और जन्मेगा न्याय मंत्री शिशुपाल सा |

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