शनिवार, 7 सितंबर 2013

मृत्यु सकून है |

मोह भंग होने पर
मृत्यु
बड़ी ठंडी होती है
कभी कभी सोंचता है मन
स्थूल वस्तुओं के प्रति मोह न हो तो
कष्ट न हो शरीर छोड़ते वक्त
औलाद में जीने की मंशा
कभी न रखे जो
वो निरुद्विग्न निर्विकार सा चला जाता है जग छोड़
अपनों को बहुत कुछ दे कर |

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