मोह भंग होने
पर
मृत्यु
बड़ी ठंडी
होती है
कभी कभी
सोंचता है मन
स्थूल
वस्तुओं के प्रति मोह न हो तो
कष्ट
न हो शरीर छोड़ते वक्त
औलाद में जीने
की मंशा
कभी न रखे जो
वो
निरुद्विग्न निर्विकार सा चला जाता है जग छोड़
अपनों को बहुत
कुछ दे कर |
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