गुरुवार, 19 सितंबर 2013

अनोखी पुत्री

प्रकांड ज्ञानी दार्शनिक प्रोफेसर पिता की पुत्री
बचपन से पिता की दुलारी थी
पर माता की सिरदर्द
पुत्री में पिता के गुण और ज्ञान कूट कूट कर भर गये थे
सो वह न तो सास की दुलारी बन पायी
और न ही नन्द की प्यारी
क्योंकि घर की महिलाओं को वह अनोखी लगती थी 
पुत्री पिता की तरह प्रोफेसर तो न बन पायी
पर रह गयी अकेली
कटी सी अकेली घर में
अब वो जी रही है
अपनी औलाद में
.................
ऐसा  फर्क क्यों !
लडके और लड़की के जीवन शैली में ?

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