प्रकांड
ज्ञानी दार्शनिक प्रोफेसर पिता की पुत्री
बचपन से पिता
की दुलारी थी
पर माता की
सिरदर्द
पुत्री में
पिता के गुण और ज्ञान कूट कूट कर भर गये थे
सो
वह न तो सास की दुलारी बन पायी
और न ही नन्द
की प्यारी
क्योंकि घर की
महिलाओं को वह अनोखी लगती थी
पुत्री पिता
की तरह प्रोफेसर तो न बन पायी
पर रह गयी
अकेली
कटी सी अकेली
घर में
अब वो जी रही
है
अपनी औलाद में
.................
ऐसा फर्क क्यों !
लडके और लड़की
के जीवन शैली में ?
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