रविवार, 28 अक्टूबर 2012

नया सबेरा


हम निर्माता जग के
नया सबेरा लायेंगे |
हम विद्यार्थी
अपनों को नया पाठ पढ़ाएंगे |
हम कतरेंगे
विद्याध्ययन से अभाव के पर |
हम अबोध नहीं
उड़ायेंगे ज्ञान पताका अपनी |
हम बांधेंगे
मौसम को अपने धागे से |
हम होने देंगे सूखी
निज धरा |
हमें समझना कम
हममें है जोश वक्त का |
हम भी देखेंगे
कैसे उड़ेगी ये मंहगाई चील |
हम आँख निकलेंगे इसकी   
ज्यों ही यह धरा पे आयेगी |
छोटे हैं
पर समझ बड़ी है |
देखना हम पढ़ाएंगे पहाड़ा एकदिन
कालेधन के संग्रहकर्ता को |
हम बालक बालिका
एक दिन उदाहरण बन जायेंगे |

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