आखिर आया जाड़ा
एक मौसम बीता
वो मुस्काई
अब उसे इंतजार है गर्मी का
पता नहीं जी पायेगी या नहीं
आशाएं मौसम से ही बंधती है
मौन झेलना है मौसम की मार
मुस्कुराना है
उसे हर मौसम के चले जाने के बाद
पल पल जीना भी एक अनुभव है
जुझारूपन न रहने पर
खामोशी बातें करने लगती है
कभी मीठी
कभी कड़वी लगने लगती है
बीती यादें
और उस स्वाद के साथ
मन व बुद्धि हाथ थामे चलने लगते हैं
स्वाभिमानपूर्वक
|
ऊष्मा देते गर्म कपड़े प्रिय साथी आज
रहेंगे साथ साथ
महसूस
करायेंगे अपनी उपस्थिति
उसे हर पल
पर
गर्मी के आते ही अलविदा कह देंगे उसे
कोई बात नहीं
एक मौसम का
साथ हैं न
जब
तक नयनों के दीप जलते हैं
मन को रोशन करते हैं
कल की कल
सोचेंगे
आज पे अब हम
चलते हैं
पलों का रस
पीते हैं
मौसम
को महसूसते हैं |
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