इच्छा
बावरा मन
बहुत कुछ बनना चाहे
कभी कभी
कोई अधिकारी तो कभी कोई
और बन भी जाये वो
जी भी ले वो जीवन
मित्रों ,रिश्तों के माध्यम से |
चाहत
छोटी सी चाहत रही
सदा हमारी
सुबह
की भागम दौड़ में
गलतियाँ न हो कभी
जीवन में
जिन पर करना
पड़े अफ़सोस
जीवन संध्या
में |
दिया जले !
उनकी उम्मीद का दिया
जलाए रखना
सदा तू
जब भी थकें अपने
आ बैठें
तेरी रोशनी में
सुस्ताने |
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