बुधवार, 3 अक्टूबर 2012

छोटी कवितायेँ - 13



  इच्छा 

बावरा मन
बहुत कुछ बनना चाहे
कभी कभी
कोई अधिकारी तो कभी कोई
और बन भी जाये वो
जी भी ले वो जीवन
मित्रों ,रिश्तों के माध्यम से |


       चाहत 

 छोटी सी चाहत रही
सदा हमारी
सुबह की भागम दौड़ में
गलतियाँ हो कभी
जीवन में
जिन पर करना पड़े अफ़सोस
जीवन संध्या में |



     दिया जले   !

उनकी उम्मीद का दिया
जलाए रखना
सदा तू
जब भी थकें अपने
बैठें
तेरी रोशनी में
सुस्ताने |

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