मंगलवार, 5 जनवरी 2016

तीसरा कदम रखने के लिये जमीन की जंग





- इंदु बाला सिंह


जीने की कश्मकश में
छोड़ दिया था
मैंने
देखना आईना
और
आज
अपने प्रिय लेखकों के  चित्र
देख फेसबुक में
अचंभित हुयी  .........
अरे !
तुम्हारे बाल सफेद गये  ...........
तुम
इतनी उम्रदार हो गयी
और
तुम !
तुम्हारी तो बरसी भी बीत गयी  ..........
ओह !
मतलब
मैंने  कीमती पल खो दिये     ........
बाईस वर्ष की उम्र में
पहुंच गई  मैं
जब
आरम्भ हुयी थी
तीसरा कदम रखने  लिये
जमीन की जंग    ..........
जो
अब भी वह जंग जारी है  ...........
आखिर कब तक !
कब तक ?
शायद आख़िरी सांस तक   ........
फिर से खो गयी
मैं
अपने  दैनिक संग्राम में  । 

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