सोमवार, 11 जनवरी 2016

मन अश्रुप्लावित हो बैठा


11 January 2016
15:21

-इंदु बाला सिंह




ओह ! व्यर्थ  गया  यह  जीवन सारा
बीज लगाते  ही मौसम बदला ...... पल में आंधी तो पल में रूद्र हुआ ताप
पसीने से सींचा पौधा
हारी मैं
जब शरीर टूटा
और
देख अपने पौधे को
न जाने क्यों
आज
व्याकुल मन अश्रुप्लावित हो बैठा  |

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