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January 2016
06:57
-इंदु बाला
सिंह
भीषण झंझा
बतलाती है
कीमत
लात को बुद्धि की ..........
लात को बुद्धि की ..........
अंगडाई
ले उठ खड़ा होता है
शिथिल पड़ा
शरीर
उड़ते तिनके
बचाने के लिये
रात
के बसेरे का .............
शरीर
का अंग अंग जुड़ जाता है
कैंसरग्रस्त
सदस्यों की पहचान हो जाती है .............
मौसम का बदलाव
पहचान कराता है
हमारी नींव का
.......... हमारी क्षमता का
और
तब उड़ पड़ता है मन
दिशा ज्ञान
परख
लौट पाने की
क्षमता तौल
सुदूर ...........साइबेरिया में |
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