- इंदु बाला सिंह
कुछ स्वार्थवश की गयी गलतियां सुधारना न चाहे वे
और
विनाश के बीज उसी दिन लग गये
जिस दिन था तोड़ा उन्होंने स्वजन का भरोसा
बाकी सब तो समय की मांग थी ...........
न जाने कौन सी अदृश्य शक्ति से
वे
हंस रहे थे .......
अंगड़ाईयां ले रहे थे
आनेवाले कल को भूल अपने
स्वप्न में ...... सत्य में ।
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