बुधवार, 20 जनवरी 2016

समझ न पाया मैं



-  इंदु बाला सिंह


मैं डूब रहा था
तुम डूबने से बचाने  के लिये चिल्ला रही थी .........  हाथ पांव मार रही थी
मैं तुम्हें बचाने की स्थिति में नहीं था
मैं किनारे पहुंच गया
और
मैंने एक लम्बी सांस ली  ...........
देखा -
तुम भी किनारे पहुंच चुकी हो ..... मगर  ....... तुम फिर नदी में अंदर की ओर बहने लगी हो   ..........
गजब का स्वप्न देखा मैंने
यह भवितव्यता है .... या....... समय की चेतावनी
समझ न पाया मैं । 

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