लौट के आई अपने पुराने शहर में
पुरानी सड़कों पर पुराने परिचित याद आते हैं
फर्राटे से वे स्कूटर पर गुजर जाते हैं
अस्पताल के कॉरिडोर में मां चलती दिखती है
कैबिन में सोए पिता दिखते हैं
कॉलेज यूनिफॉर्म में साइकिल चला कर लौटते आकृतियों में
मैं खुद को पाती हूं
मन करता है छोड़ दूं शहर
यूं लगता है
कब्र से जीवित हो उठे हैं लोग ।