अब
तुम
नहीं करोगे अपने मन का
अब ज्यादा दूर जाना ठीक नहीं
और कितना बिखरोगे तुम
कमजोर हुई हैं
पाँखे तुम्हारी
मन के जोश से उड़ेगा पंछी
तो राह में गिर जाएगा .....
अब सुनना है तुम्हें अपने पिता की ...अपनी मां की
श्रम करो
नीड़ बनाओ
पास के पेड़ पर
जियो
खुश रहो ।
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