शनिवार, 19 जुलाई 2025

मकान


 

 

देखती हूं

 

आमदनी कम है

 

पर

 

खूबसूरत मकान है कुछ लॉगों के  पास

 

उनके पूर्वजों के मकान है उनके पास

 

खूबसूरत मकान में रहते हैं वे

 

छत की उन्हें चिंता नहीं

 

आखिर क्यों भटकती  हूं मैं

 

मकान की तलाश  मे

 

कमाते हुए जीव कटा

 

किराए देते देते प्राण सूखते रहे

 

दिन कटते रहे

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