शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

पुराने शहर का मोह


 

 

लौट के आई अपने पुराने शहर में

 

पुरानी सड़कों पर पुराने परिचित याद आते हैं

 

फर्राटे से वे स्कूटर पर गुजर जाते हैं

 

अस्पताल के कॉरिडोर में मां चलती दिखती है

 

कैबिन में सोए पिता दिखते हैं

 

कॉलेज यूनिफॉर्म में साइकिल चला कर लौटते आकृतियों में

 

मैं खुद को पाती हूं

 

मन करता है छोड़ दूं शहर

 

यूं लगता है

 

कब्र से जीवित हो उठे हैं लोग

 

 

 

 

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